Rajat Sharma’s Blog | टैरिफ युद्ध: निवेशक सावधान रहें

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Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

पूरी दुनिया के स्टॉक मार्केट में सोमवार को मचे हाहाकार के बाद मंगलवार को गिरावट रुकी। इस बीच चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि अगर ट्रम्प ने चीन पर 50 प्रतिशत का नया टैरिफ लगाया तो चीन अन्त तक इसके खिलाफ लड़ेगा और जवाबी कार्रवाई करेगा। चीनी मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका गलती पर गलती किये जा रहा है और इससे साफ है कि वो ब्लैकमेल कर रहा है। ट्रम्प ने सोमवार को कहा था कि अगर चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर 34 प्रतिशत टैरिफ नहीं हटाया, तो अमेरिका चीन पर 50 प्रतिशत का नया टैरिफ लगा देगा। दुनिया भर में इस समय अमेरिका के कारण टैरिफ युद्ध छिड़ा हुआ है। दुनिया भर में मंदी की आशंका जताई जा रही है। निवेशकों ने स्टॉक मार्केट से हाथ खींचने शुरू कर दिए हैं। अमेरिका ने पूरी दुनिया के साथ व्यापार युद्ध छेड़ दिया है। हालांकि कोई अमेरिका से टकराव नहीं चाहता पर ट्रंप ने सबको मजबूर कर दिया है। अब पूरी दुनिया में सेंटिमेंट ये है कि वैश्वीकरण का दौर खत्म हो जाएगा, वर्ल्ड ऑर्डर बदल जाएगा। इसी सेंटिमेंट का, इसी डर का, इसी कन्फ्यूजन का असर स्टॉक मार्केट पर दिखाई दे रहा है। स्टॉक मार्केट का उठना गिरना, सेंटिमेंट पर निर्भर करता है। चीन की जवाबी कार्रवाई का भी असर हुआ है। इसीलिए दुनिया भर के स्टॉक मार्केट्स में सोमवार को भारी गिरावट आई।

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भारत की नजर से देखें तो दो-तीन बातें ध्यान देने वाली हैं। एक तो ये कि वाणिज्य मंत्रालय ने भारतीय़ निर्यातकों की मदद के लिए वित्त मंत्रालय के पास 5 प्रस्ताव भेजे हैं। इनमें सब्सिडी स्कीम्स जारी रखने और बैंक क्रेडिट बढ़ाने के सुझाव भी हैं। दूसरी बात ये कि भारत  टैरिफ को लेकर अमेरिका के साथ टकराव नहीं चाहता। भारत की नीति ये है कि अमेरिका से बातचीत करके जितना हो सके टैरिफ कम कराया जाए। लेकिन ये आसान नहीं होगा क्योंकि ट्रंप ने मोलभाव करने के लिए अपनी पोजिशन को काफी मजबूत बना लिया है। तीसरी बात ये कि ट्रंप सिर्फ टैरिफ बढ़ाकर रुकने वालों में नहीं हैं। आने वाले दिनों में अमेरिका की मांगें और बढ़ेंगी। इसीलिए अर्थव्यवस्था और स्टॉक मार्केट पर ये दबाव तो लगातार बना रहेगा। भारत की सबसे बड़ी चिंता उन सेक्टर को लेकर है जिनमें करोड़ों किसान, मजदूर काम करते हैं, जैसे टेक्सटाइल, फुटवियर और कृषि। भारत सरकार इसी को संभालने में लगी है कि किसी तरह किसान और मजदूर का नुकसान न हो। द्विपक्षीय वार्ता में में इन्हीं सेक्टर्स के ‘लो टैरिफ’ के लिए बातचीत होगी। जहां तक निवेशकों का सवाल है, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। मार्केट में ये हालात बहुत ज्यादा दिन नहीं रहेंगे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पैनिक में शेयर्स बेचने की जरूरत नहीं है। कुछ जगह तो शेयर खरीदने का मौका है। लेकिन अपना सारा पैसा मार्केट में डालने की भी जरूरत नहीं है। निवेशकों से तो बस यही कहा जा सकता है, ‘ऐ भाई जरा देख के चलो, आगे ही नहीं, पीछे भी।’

बंगाल के शिक्षक: क्या ममता नौकरी लौटा पाएंगी?

पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला अब ममता बनर्जी के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। ममता बनर्जी ने साफ-साफ कहा कि भले ही उन्हें जेल जाना पड़े लेकिन वह 25 हजार से ज्यादा शिक्षकों को निकालने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानेंगी। ममता बनर्जी ने कोलकाता के नेताजी सुभाष इंडोर स्टेडियम में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित शिक्षकों को बातचीत के लिए बुलाया था। ममता ने कहा कि  बंगाल में अगले साल चुनाव है, उनकी सरकार को बदनाम करने की कोशिश हो रही है, जिन लोगों में नौकरी देने की ताकत नहीं है, वो मुखौटा लगाकर हजारों शिक्षकों की नौकरी से खेल रहे हैं, लेकिन मेरे जिंदा रहते वो कामयाब नहीं होंगे। ममता ने कहा कि अगर कोर्ट का आदेश मानना भी पड़ा तो उनका प्लान A, प्लान B, प्लान C तैयार है। ये बात सही है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ेंगी। इस घोटाले में उनकी सरकार के मंत्री पहले से जेल में हैं। अब शिक्षक भी सड़कों पर हैं। लेकिन ममता कोर्ट के फैसले को राजनीतिक रंग दे रही है। वह बार-बार कह रही हैं कि ये उनकी सरकार को बदनाम करने की कोशिश है।  ममता बनर्जी कह रही हैं कि वो कोर्ट का आदेश नहीं मानेंगी, शिक्षकों के साथ खड़ी रहेंगी। ये कहना उनकी राजनीतिक मजबूरी  है। ये कहने के अलावा उनके पास दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है। इस बात को शिक्षक भी समझते हैं। इसीलिए उन्हें ममता की बात पर भरोसा नहीं है। ममता ने कहा कि जबतक मैं जिंदा हूं, किसी योग्य उम्मीदवार की नौकरी नहीं जाएगी, लेकिन टीचर्स पूछ रहे हैं, जब एक बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया, तो फिर वो नौकरी कैसे देंगी? इसका जवाब ममता ने नहीं दिया।

हैदराबाद: क्या रेवन्त रेड्डी को गुमराह किया गया?

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की सरकार हैदराबाद विश्वविद्यालय से सटे रंगारेड्डी जिले के कांचा गाचीबोवली में 400 एकड़ विवादित भूमि की नीलामी के अपने फैसले के कारण न्यायपालिका, केंद्र सरकार, पर्यावरणविदों, छात्रों, शिक्षाविदों, विपक्षी दलों और यहां तक कि फिल्म बिरादरी, सभी तरफ से आलोचनाओं का सामना कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि पर बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया। वहां भारी मशीनरी तैनात करके वन्यजीव और जल निकायों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना की मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि जब तक उचित पर्यावरणीय प्रभाव आकलन नहीं हो जाता और आवश्यक मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक क्षेत्र में सभी गतिविधियां तुरंत रोक दी जाएं।

दूसरी ओर, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने एक गैर-सरकारी संगठन और हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद विवादित भूमि पर सभी प्रकार की गतिविधियों पर रोक बढ़ा दी। चार सौ एकड़ में फैले जंगल को विकास के नाम पर काटा जाए, इसे कोई  न्यायोचित नहीं ठहरा सकता। एक्सपर्टस का कहना है कि इस जंगल में पेड़ पौधों की 75 किस्में हैं, पशु-पक्षियों की 233 प्रजातियां हैं। ये जंगल पूरे हैदराबाद को सांस लेने लायक ऑक्सीजन देता है। अगर ये जंगल नष्ट हो गया तो हैदराबाद और उसके आस पास के इलाके में गर्मी बढ़ जाएगी, तामपान तीन डिग्री तक बढ़ जाएगा। शायद ये सब बातें देखकर ही सुप्रीम कोर्ट ने इस जंगल को काटने पर रोक लगाई थी। अब रेवंत रेड्डी इस सवाल का जवाब नहीं दे पा रहे हैं कि आखिर उन्होंने रात के अंधेरे में बुलडोजर क्यों चलवाए? अगर विकास के लिए ये काम इतना जरूरी था, तो दिन के उजाले में ये काम करते। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 07 अप्रैल, 2025 का पूरा एपिसोड

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