महिलाओं को सशक्त बनाता है ये अधिकार, जानें क्या है समान पारिश्रमिक अधिनियम?

क्या आप जानते हैं कि हर साल 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है? महिला दिवस के मौके पर हर महिला को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए जागरूकता दिखानी चाहिए। आपको बता दें कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें अलग-अलग अधिकार दिए गए हैं। आज हम आपको समान वेतन के अधिकार के बारे में बताएंगे।
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क्या कहता है समान पारिश्रमिक अधिनियम?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 के अनुसार, वेतन या फिर मजदूरी के लिए लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता। अगर इस अधिनियम को आसान भाषा में समझने की कोशिश की जाए तो इसका सीधा-सीधा मतलब ये है कि महिलाओं के पास पुरुषों के समान ही वेतन मिलने का अधिकार है।
गौर करने वाली बात
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महिलाओं को समान वेतन के साथ-साथ समान बोनस या फिर भत्ता जैसी सुविधाओं पर भी पुरुषों के समान ही अधिकार है। समान वेतन का अधिकार या फिर राइट टू इक्वल पे, अगर कोई कंपनी इस कानून का पालन नहीं करती है तो उस कंपनी के मालिक को सजा भी सुनाई जा सकती है।
सशक्त बन रही महिलाएं
पहले महिलाओं और पुरुषों के बीच में समाज द्वारा भेदभाव किया जाता था। महिलाएं भी बाहर जाकर पैसे कमाने से बचती थीं। लेकिन अब महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। पुरुष और महिला दोनों मिलकर घर भी संभाल रहे हैं और दोनों साथ मिलकर पैसे भी कमा रहे हैं। समान वेतन के अधिकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने में काफी अहम भूमिका निभाई है।
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