मध्य प्रदेश और राजस्थान की जनता ने AAP को नकारा, BAP को दुलारा, जानिए क्यों हो रही चर्चा?
पांच राज्यों में हुए विधानसभा का रिजल्ट घोषित कर दिया गया है, जिसमें तीन राज्यों-छ्त्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की है तो वहीं तेलंगाना में कांग्रेस और मिजोरम में जेडपीएम ने परचम लहराया है। इन नतीजों के बीच मध्यप्रदेश और राजस्थान में एक पार्टी काफी चर्चा में है, जिसका नाम भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) है। इस पार्टी की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि तीन महीने पहले बनी इस पार्टी ने अपने प्रदर्शन से सबको हैरान कर दिया है। यहां तक कि राष्ट्रीय पार्टी रही आम आदमी पार्टी से भी भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) इस बार आगे निकल गई है।
मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां बड़े-बड़े राजनीतिक दलों जैसे आप, सपा, बसपा के साथ ही कई निर्दलीयों का खाता भी नहीं खुला। बीजेपी, कांग्रेस के बाद भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) एक मात्र राजनीतिक दल है। जिसके उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) के सैलाना से प्रत्याशी कमलेश्वर डोडियार 4618 मतों से जीते, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में चार निर्दलीय, बसपा के 2 और सपा के 1 प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी।
आप का नहीं खुला और बाप ने जीतीं चार सीटें
आम आदमी पार्टी, आप ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में 200 से अधिक प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। लेकिन इन राज्यों में पार्टी का खाता भी नहीं खुला। AAP के अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई। तो वहीं भारतीय आदिवासी पार्टी, बाप ने चुनाव लड़कर अपना प्रभाव दिखा दिया है जिससे सभी अचंभित हैं। BAP को राजस्थान में 3 और मध्यप्रदेश में 1 सीट पर जीत मिली है, जो बड़ी बात है।
कैसे बनी नई पार्टी और क्यों आई चर्चा में
पहले भारतीय ट्राइबल पार्टी में टूट हुई जिसके बाद पार्टी के आदिवासी नेताओं ने नए संगठन की स्थापना की और भारतीय आदिवासी पार्टी बनाई। इस पार्टी ने मध्यप्रदेश और राजस्थान के आदिवासी इलाकों में बीजेपी और कांग्रेस को चुनौती दी और तीन महीने में बनी इस पार्टी ने 4 सीटों पर कब्जा भी कर लिया। इस पार्टी में मुख्यतः आदिवासी कार्यकर्ता शामिल हैं और इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम मोहनलाल रोत हैं।
भारतीय आदिवासी पार्टी ने मध्यप्रदेश और राजस्थान में आदिवासी बाहुल्य सीटों पर चुनाव लड़ा और मैदान में 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। तीन महीनों में ही इस अप्रत्याशित जीत से सभी हैरान हैं और इस पार्टी का भविष्य भी बेहतर दिखाई दे रहा है।
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