इस बैंक की वित्तीय स्थिति चरमराई, NPA रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा, कहीं आपका भी खाता तो नहीं?
अभ्युदय सहकारी बैंक की शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बढ़कर 12 प्रतिशत हो गई है। सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। सहकारी बैंक का लागत-आय अनुपात 80 प्रतिशत तक बढ़ गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को खराब संचालन मानकों के कारण अभ्युदय सहकारी बैंक के निदेशक मंडल को एक साल के लिए निलंबित कर दिया था। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने सहकारी बैंक के प्रबंधन के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया है। सूत्रों ने कहा कि खराब प्रशासन के कारण धीरे-धीरे एनपीए बढ़ता गया और लागत-आय अनुपात में गिरावट आई। ऐसे में इस बैंक पर वित्तीय संकट का खतरा बढ़ गया है। हालांकि, अभी इसके सामान्य कामकाज पर रोक नहीं लगाया गया है।
बैंक प्रबंधन ने बहुत अधिक भर्तियां कीं
सूत्रों के मुताबिक चेयरमैन संदीप घंडत की अगुवाई में बैंक प्रबंधन ने बहुत अधिक भर्तियां कीं। मामले से जुड़े लोगों ने कहा कि बैंक ने वित्त वर्ष 2012-13 में परिचालन लाभ कमाया था। बैंक ने सांविधिक तरलता अनुपात और नकद आरक्षित अनुपात को भी लगातार बनाए रखा है। एक जानकार व्यक्ति ने कहा, ”पेशेवर टीम बैंक के रोजमर्रा के मामलों को देख रही है, जिससे वह अपने खराब ऋण की वसूली करके अपने बहीखाते में सुधार करेगी और परिचालन दक्षता हासिल करेगी।” उन्होंने कहा कि अभ्युदय बैंक अपना सामान्य कारोबार जारी रखेगा, क्योंकि उस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
एनपीए को लेकर पहले ही चेता चुका है आरबीआई
आपको बता दें कि दो महीने पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) में कुल 8.7 प्रतिशत गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) अनुपात को लेकर केंद्रीय बैंक ‘‘सहज नहीं’’ है। उन्होंने शहरी सहकारी बैंकों से इस अनुपात को बेहतर करने के लिए काम करने को कहा था। दास ने एनपीए संकट से बेहतर ढंग से निपटने के लिए सुझाव देते हुए कहा था कि बेहतर आकलन के साथ क्रेडिट जोखिम प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि आरबीआई को हितों के टकराव या संबंधित पक्ष लेनदेन के मामलों को लेकर विवाद के बारे में पता चला है जिनसे बचने की जरूरत है। इससे पहले भी कई सहकारी बैंकों में इस तरह के मामले सामने आ चुके है। उस बैंक के खातधारकों को बाद में परेशानी उठानी पड़ी है। ऐसे में एक और बैंक का एनपीए बढ़ाना चिंता का विषय है।
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